Thursday 16 April 2015

एक मंत्र का जाप भगवान और भक्त दोनों से दिलाए दोहरा लाभ

श्रीहनुमान जी का जीवन भारतीय जनता के लिए सदा से प्ररेणादायक रहा है। वे वीरता की साक्षात प्रतिमा हैं एवं शक्ति तथा बल-पराक्रम की जीवन्त मूर्ति। राम उनके रोम-रोम में बसते थे। कहते हैं एक बार उन्होंने अपना सीना चीर कर दिखाया तो उसमें सिर्फ़ राम ही दिखायी दिये।
 
                            दुनिया चले न श्री राम के बिना, राम जी चले न हनुमान के बिना…. 
 
अर्थात जहां श्रीराम सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं, वहीं बाल ब्रह्मचारी हनुमान ने अपनी निस्वार्थ भक्ति और अनन्य प्रेम से भगवान श्रीराम के दिल में ऐसी जगह बनाई कि दुनिया उन्हें प्रभु राम का सबसे बड़ा भक्त मानती है। 
 
प्रतिदिन शाम के समय घर पर अथवा किसी ऐसे मंदिर में जाएं, जहां श्रीराम और हनुमानजी दोनों के ही श्री रूप स्थापित हो। दोनों मंदिरों में दीपदान करें। श्री राम मंदिर के सामने बैठकर हनुमान चालीसा एवं हनुमान मंदिर के सामने बैठकर राम जी का मंत्र जाप करें। 
 
मंत्र-                                         राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
                                               सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
 

इससे भगवान और भक्त दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। दुनिया में जहां कहीं भी राम का नाम लिया जाता है, आज भी वहां हनुमान जी किसी ना किसी रुप में आ जाते हैं। 

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