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Monday 20 April 2015

Rudraksha Beads

Preparation of rudraksha beads must be carried out in a particular way. The seeds are sun cured and the outer skin is torn away, revealing the round, oval or almond-shaped seed often with adhering strands of pulp. This pulp is removed by boiling in water mixed with lime (sodium bicarbonate).
The seeds must then be further cured by soaking in various precious oils, including almond oil mixed with musk, and oil from sacred trees. Finally, the prepared beads are roasted in the smoke of a sacred fire in which seven different sacred woods have been consumed. Afterwards, ghee may be used to harden the beads and black ash from the fire may be rubbed into the seeds as well.

Types of oil lamps used for Deepam-Deeparadhana:

Clay lamp: Clay lamps are widely using for spiritual rituals and the significance of clay lamp is extreme in all kinds of prayers and devotional religious customs.

Silver lamp: silver lamp is inflamed to impress the moon and this step is supposed to get rid of poverty.
Gold lamp: Gold lamp is inflamed for health, wealth and expansions of business or any other developments.
Brass lamp: Brass lamps are easily available with affordable price and its durability is very high.

Clay lamps and Brass lamps are very popular because of availability and afford. But none of them use Iron and steel oil lamps for Hindu spiritual rituals in their houses. Silver and gold lamps are expensive to use.

Deities and their favorite Oil deepam’s:

Shree Mahalakshmi – Cow’s Ghee
Subramanya/Shreemannarayana – Sesame Oil
Ganesha – Coconut Oil
Devi Parashakti – Mixture of Ghee, Castor oil, Coconut oil,Ippanune (Oil extracted from a fruit resembling dried grapes),Vepanune (Oil extracted from the Neem Leaves)
All the gods – Sesame Oil

देवताओं और उनके पसंदीदा तेल दीपम की :
श्री महालक्ष्मी - गाय का घी
सुब्रमण्य / Shreemannarayana - तिल का तेल
गणेश - नारियल का तेल
देवी Parashakti - ( नीम के पत्तों से निकाला तेल) घी , अरंडी का तेल , नारियल तेल, Ippanune (तेल एक फल से जैसी सूखे अंगूर निकाले ), Vepanune का मिश्रण
सभी देवताओं - तिल का तेल

Wednesday 15 April 2015

प्रभावशाली उपाय: रावण की पत्नी अपने पति को क्रोध आने पर करती थी

सबसे महत्वपूर्ण संबंध होता है जब एक घर की लड़की दूसरे अपरिचित परिवार में बहू बन कर जाती है। ससुराल पक्ष में सबसे अहम संबंध बनता है सास और बहू का। यदि बहू का साथ सौम्य संबंध संबंधों में मधुरता और सास का बहू संग पुत्रीवत व्यवहार बन जाए तो परिवार में जहां एकता और सुदृढ़ता होगी वहीं सुख-शांति, समृद्धि भी होगी। इसके प्रतिकूल होने पर गृह-क्लेश, विघटन, पति-पत्नी में वैमनस्य एवं कई बार विच्छेद तक की नौबत जैसे परिणाम सामने आते हैं। जो दोनों परिवारों के लिए असहनीय हो जाते हैं। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में ज्योतिष विज्ञान की सहायता से काफी सीमा तक इन समस्याओं से निपटा जा सकता है।
नित्य घर में 
‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत् क्लेश नाशाय गोविंदाय 
नमो नम:’।।
इस मंत्र की 11 माला सास और बहू करें। 
 

यह अति प्रभावशाली उपाय है जो मंदोदरी (रावण की पत्नी) अपने पति को क्रोध आने पर करती थी।

श्री राम से अधिक क्यों पूजा जाता है उनके सेवक हनुमान जी को

हनुमान जी श्रीराम के इतने अनन्य सेवक हैं की श्रीराम अपने भक्तों से पहले हनुमान जी के भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यही कारण है की श्रीराम से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर हैं और पूजा भी श्रीराम से ज्यादा हनुमान जी की होती है। हनुमान जी की पूजा करने से भगवान शिव और श्री विष्णु भगवान की पूजा अनायास ही हो जाती है।
हनुमान जी को सभी देवताओं का वरदान है जो श्रद्धालु उनकी पूजा करेंगे उन्हें अन्य देवता परेशान नहीं करेंगे। यदि हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो श्रीराम की स्तुति करें और श्रीराम को प्रसन्न करना हो तो हनुमान जी की स्तुति करें।
हनुमान जी की पूजा: मंगलवार के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचार्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसर, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है। हनुमान को चोला चढ़ाना सभी समस्याओं का श्रेष्ठ्तम उपाय है। इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमानजी का आवाहन करना चाहिए-
                                 श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम् 
                                आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम् 

परिवार में शांति बनाए रखने के लिए अपनाएं कुछ खास

* घर के मुख्य द्वार के पास कूड़े का डिब्बा, झाड़ू इत्यादि न रखें।
* घर की दहलीज को नित्य सास धोए।
* सायंकाल घर के द्वार के पास, तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं।
* सायंकाल मुशकपूर के टुकड़े पर 3 लौंग रख कर जलाएं।
* घर के सभी सदस्य सामूहिक रूप से भगवान की आराधना करें। खाना इकट्ठे बैठ कर खाएं।
* रसोई घर में चपाती बना कर पहली चपाती गाय- कुत्ता, कौवे के लिए निकालें और उन्हें खाने को दें।
* प्रत्येक पूर्णमाशी पर घर में भगवान सत्यनारायण की कथा कराएं, व्रत रखें। रविवार को नमक न खाएं। नित्य सभी सदस्य सूर्य को जल में रोली, शक्कर डाल कर अर्ध्य दें। 
* बहुएं रविवार को काली कुतिया को रोटी डालें।
 ऐसा करते रहने से परिवार में शांति बनी रहेगी। सास बहू को पुत्रीवत मानेगी।

शनिवार को 10 नामों का जाप दिलाएगा शनि संबंधित समस्याओं से निजात

शनिदेव सबसे क्रूर ग्रह कहलाए जाते हैं। ऐसी कहावत है की शनिदेव के प्रभाव से कोई भी व्यक्ति बच नहीं सकता क्योंकिं शनि जिस किसी पर भी अपना प्रभाव डालते हैं यां तो वह व्यक्ति रंक से रजा बन जाता है अथवा राजा से रंक बन जाता है लेकिन शनि देव इंसान के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि की अनुकंपा पानी हो तो अपना कर्म सुधारें, आपका जीवन अपने आप सुधर जायेगा। शनिदेव दुखदायक नहीं, सुखदायक हैं। 
शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें। इन दस नामों के जाप से शनिदेव का ध्यान करने से समस्त शनि संबंधित समस्याओं से निजात मिलता है।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। 
अर्थात:
1- कोणस्थ
2- पिंगल
3- बभ्रु
4- कृष्ण
5- रौद्रान्तक
6- यम
7, सौरि
8- शनैश्चर
9- मंद
10- पिप्पलाद