हनुमान जी श्रीराम के इतने अनन्य सेवक हैं
की श्रीराम अपने भक्तों से पहले हनुमान जी के भक्तों की मनोकामनाएं पूरी
करते हैं। यही कारण है की श्रीराम से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर हैं और
पूजा भी श्रीराम से ज्यादा हनुमान जी की होती है। हनुमान जी की पूजा करने
से भगवान शिव और श्री विष्णु भगवान की पूजा अनायास ही हो जाती है।
हनुमान
जी को सभी देवताओं का वरदान है जो श्रद्धालु उनकी पूजा करेंगे उन्हें अन्य
देवता परेशान नहीं करेंगे। यदि हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो श्रीराम
की स्तुति करें और श्रीराम को प्रसन्न करना हो तो हनुमान जी की स्तुति
करें।
हनुमान जी की पूजा: मंगलवार के
दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा
करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचार्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी
की पूजा में चन्दन, केसर, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी
रखने की परंपरा है। हनुमान को चोला चढ़ाना सभी समस्याओं का श्रेष्ठ्तम उपाय
है। इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमानजी का आवाहन करना चाहिए-
श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम्
आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम्
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