Wednesday, 15 April 2015

शिव भजन : शिव-शक्ति

शिव से दूर हुई जब शक्ति, सूख गई गंगधार रे
शक्ति से जब दूर हुए शिव, फिर कैसा श्रृंगार रे...

जिस मानव-मन शिव की महिमा, पूनम की शीतलता है,
कहीं नहीं अहंकार है
जिसने भूली शिव की महिमा, शीतलता फिर कहां बचेगी,
कदम-कदम अंगार है

कंकर-कंकर जग का शंकर, जिसने पूजा जाना है,
कोई पूजता खुले आसमां, किसी ने ढंककर जाना है।

केवल शिव ही जग में प्रगट, हर युग में हर काल में,
काल भी जिसको हर युग पूजे, वह शक्ति महाकाल में॥

विपदा जब भी आए तुझ पर, आलिंगन कर समझ के विषधर
अमृत-धारा बह निकलेगी, गूंजेगा ऊंकार रे
शक्ति से जब दूर हुए शिव, फिर कैसा श्रृंगार रे...। 

No comments:

Post a Comment