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Friday, 17 April 2015

धन्वंतरि स्तवन्

शंखं चक्रं जलौकादधतम्-
अमृतघटम् चारूदौर्भिश्चतुर्भि:।
सूक्ष्म स्वच्छ अति-हृद्यम् शुक-
परि विलसन मौलिसंभोजनेत्रम्।।
कालांभोदोज्वलांगं कटितटविल-
स: चारूपीतांबराढ़यम्।
वंदे धन्वंतरीम् तम् निखिल
गदम् इवपौढदावाग्रिलीलम्।।
यो विश्वं विदधाति पाति-
सततं संहारयत्यंजसा।
सृष्ट्वा दिव्यमहोषधींश्च-
विविधान् दूरीकरोत्यामयान्।।
विंभ्राणों जलिना चकास्ति-
भ‍ुवने पीयूषपूर्ण घटम्।
तं धन्वंतरीरूपम् इशम्-
अलम् वन्दामहे श्रेयसे।।

Monday, 13 April 2015

परशुराम स्तवन

जय परशुराम ललाम करूणाधाम दुखहर सुखकरं।
जय रेणुका नंदन सहस्त्रार्जुन निकंदन भृगुवरं॥
जय परशुराम...
जमदग्नि सुत बल बुद्घियुक्त, गुण ज्ञान शील सुधाकरं।
भृगुवंश चंदन,जगत वंदन, शौर्य तेज दिवाकरं॥
शोभित जटा, अद्भुत छटा, गल सूत्र माला सुंदरम्‌ ।
शिव परशु कर, भुज चाप शर, मद मोह माया तमहरं॥
जय परशुराम...
क्षत्रिय कुलान्तक, मातृजीवक मातृहा पितुवचधरं।
जय जगतकर्ता जगतभर्ता जगत हर जगदीश्वरं॥
जय क्रोधवीर, अधीर, जय रणधीर अरिबल मद हरं।
जय धर्म रक्षक, दुष्टघातक साधु संत अभयंकरं॥
जय परशुराम...
नित सत्यचित आनंद-कंद मुकुंद संतत शुभकरं।
जय निर्विकार अपार गुण आगार महिमा विस्तरं॥
अज अंतहीन प्रवीन आरत दीन हितकारी परं।
जय मोक्ष दाता, वर प्रदाता, सर्व विधि मंगलकरं॥
जय परशुराम...।