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Wednesday, 22 April 2015

हर माह की चतुर्थी के पूजन नियम

गणेशजी आदिकाल से पूजित रहे हैं। वेदों में, पुराणों में (शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि) में गणेशजी के संबंध में अनेक लीला कथाएं तथा पूजा-पद्धतियां मिलती हैं। उनके नाम से गणेश पुराण भी सर्वसुलभ है।
प्राचीनकाल में अलग-अलग देवता को मानने वाले संप्रदाय अलग-अलग थे। श्री आदिशंकराचार्य द्वारा यह प्रतिपादित किया गया कि सभी देवता ब्रह्मस्वरूप हैं तथा जन साधारण ने उनके द्वारा बतलाए गए मार्ग को अंगीकार कर लिया तथा स्मार्त कहलाए। देवता कोई भी हो, पूजा कोई भी हो, गणेश पूजन के बगैर सब निरर्थक है। देखें-
'विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।
                                                                            तथा
'महिमा जासु जान गनराऊ।
प्रथम पूजित नाम प्रभाऊ।।
गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए कई पूजा-व्रत करने का निर्देश दिया गया है‍‍ जिन्हें करके गणेशजी को प्रसन्न किया जा सकता है। वे निम्नलिखित हैं-
1. मुद्गल पुराण में 'वक्रतुण्डाय हुं' जप का निर्देश दिया गया है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत कर गणेश पूजन का गणेशजी द्वारा स्वयं निर्देश दिया गया है।
2. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत कर चन्द्र दर्शन कर गणेश पूजन कर ब्राह्मण भोजन करवाने से अर्थ-धर्म-काम-मोक्ष सभी अभिलाषित पदार्थ पाए जा सकते हैं, ऐसा स्वयं गणेशजी ने कहा है।
3.  चै‍त्र माह की चतुर्थी पर गणेश पूजन व्रत कर ब्राह्मण को सुवर्ण की दक्षिणा देने का विधान है।
4. वैशाख माह में 'संकर्षण' गणेश का पूजन कर शंख, वस्त्र, दक्षिणा देने का विधान है। 
5. ज्येष्ठ माह में 'प्रद्युम्नरूपी गणेश' का व्रत-पूजन कर फल-शाक-मूली दान दें।
6. आषाढ़ मास में 'अनिरुद्धरूपी गणेश' का पूजा-व्रत कर संन्यासियों को तूंबी इत्यादि देने का विधान है। इस दिन का बड़ा महत्व शास्त्रों में बतलाया गया है।
7. श्रावण मास में 'स्वर्ण के गणेश' बनवा कर सोने की दूर्वा ही चढ़ाएं। इस प्रकार पांच वर्ष तक व्रत-पूजन कर अभीष्ट प्राप्ति होती है।
8. भाद्रपद (भादौ) माह में 'सिद्धिविनायक' की पूजा होती है। गौदान का महत्व है। इक्कीस पत्तों को चढ़ाने का महत्व है। शमी पत्र, भंगरेया, बिल्वपत्र, दूर्वादल, बेर, धतूरा, तुलसी, सेम, अपामार्ग, भटकटैया, सिन्दूर का पत्ता, तेजपात, अगस्त्य, कनेर, कदलीफल का पत्ता, आक, अर्जुन, देवदारू, मरुआ, गांधारी पत्र तथा केतकी का पत्ता- इस प्रकार 21 प्रकार के पत्ते 'ॐ गं गणपतये नम:' कहकर चढ़ाने तथा व्रत-पूजन करने से भोग में लड्डू तथा समस्त सामग्री आचार्य को दान करने से (5 वर्ष तक) लौकिक तथा पारलौकिक सुख प्राप्त होते हैं।
9. आश्विन चतुर्थी को पूजन कर पुरुष सूक्त द्वारा अभिषेक निर्देशित है।
10. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी करवाचौथ के नाम से जानी जाती है। यह स्त्रियों द्वारा विशेष किया जाने वाला व्रत है। दस करवे गजानन को समर्पित कर बाद में उसे लोगों में बांट दें। बारह या सोलह वर्ष तक करने का विधान है जिससे स्त्री अखंड सौभाग्यशाली बन जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
11. मार्गशीर्ष या अगहन चतुर्थी से किया जाने वाला व्रत अत्यंत कठिन तथा लगातार चार वर्ष तक चलने वाला है। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख है।
12. पौष मास की चतुर्थी पर विघ्नेश्वर का व्रत-पूजन कर दान-दक्षिणा देने से धन का अभाव नहीं रहता है।
13. माघ मास में 'गजमुख गणेश' का पूजन कर तिल के लड्डू चढ़ाने का विधान है। इसमें पार्थिव गणेश के पूजन का विशेष महत्व है। गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं। अर्घ्य में लाल चंदन, पुष्प, दूर्वा, अक्षत, शमीपत्र, दही और जल मिलाकर देना चाहिए।
14. फाल्गुन मास में दुण्डिराज गणेश का पूजन होता है। बारह मास शुक्ल चतुर्थ व्रत कर दान-दक्षिणा देने स परम कारुणिक गणेश देव समस्त कामनाओं की पूर्ति कर जन्म-जरा-मृत्यु के पाश नष्ट कर अंत में अपने दिव्य लोक में स्थान दे देते हैं।
  
 
   
   

आने वाला है चांडाल योग, जानिए क्या होगा आप पर असर

जुलाई 2015 से सिंह राशि में गुरु प्रवेश करके 11 अगस्त 2016 तक सिंह राशि में ही रहेंगे तथा 9 जनवरी 2016 से 11 अगस्त 2016 तक राहु भी सिंह में प्रवेश करके 8 सितंबर 2017 तक सिंह में रहेंगे अतः 9 जनवरी 2016 से 11 अगस्त 2016 तक गुरु राहु की सिंह राशि में युति रहेगी। 


इस बीच जिन बच्चों का जन्म होगा उनकी कुंडली में चांडाल दोष का निर्माण होगा एवं जिस जातक की कुंडली में चांडाल दोष है उन्हें इस दोष के कारण कुंडली अनुसार कष्ट होगा। यह समय उच्चाधिकारियों, मंत्रियों के लिए समस्याएं उत्पन्न करने वाला रहेगा। कुछ उच्च पदासीन मंत्रियों के पद के लिए अनुकूल नहीं रहेगा। 
उत्तर-पूर्व के राज्यों में हिंसात्मक घटनाएं अधिक होंगी। कुछ प्रदेशों में राजनीतिक पार्टियों के अंदर उथल-पुथल एवं पद-परिवर्तन के योग बनेंगे। 13 जुलाई 2015 से 25 अप्रैल 2016 तक धार्मिक उन्माद बढ़ेगा। इस बीच धार्मिक विवादों की आशंका अधिक है। यह समय कुछ प्रदेशों में शीर्ष नेतृत्व करने वाले नेताओं के पद के लिए चिंताकारक रहेगा।

Monday, 20 April 2015

मूर्ति खंडित हो गयी हो या उसकी चमक फीकी पड़ गयी हो तो

भले ही किसी मूर्ति में आपकी गहरी आस्था हो, लेकिन मूर्ति खंडित हो गयी हो या उसकी चमक फीकी पड़ गयी हो तो उसे घर में नहीं रखें। ऐसी मूर्तियों को बिसर्जित कर देना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार खंडित और आभाहीन मूर्तियों के दर्शन से हानि होती है।
पूजा स्थल पर भगवान की ऐसी मूर्ति रखें जिनका मुख सौम्य और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो। रौद्र और उदास मूर्ति घर में रखने से नकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

राहु और बुध


********' कबूतर को दाना डालना एक पुण्य का काम है | लेकिन इसमें कुछ सावधानी रखनी चाहिए अपने सुना होगा या नहीं सुना होगा की कभी भी घर की छत पे कबूतर को दाना न डाले | अपने आँगन में या balconi में या घर से बाहर डाले लेकिन घर की छत पर नहीं | आइये जानते है , इसका ज्योतिषीय कारण| जन्मकुंडली में बुध और rahu का खराब मेल बहुत बुरा होता है | यदि जन्मकुंडली में बुध और rahu का खराब मेल हो तों इन्सान को इनके खराब योग बनने से कुछ परेशानी भी हो सकती है ऐसे में हम अपनी हरकतों से भी बुध और rahu को एक कर दे या इनको और ख़राब कर दे तों बुरा नतीजा मिलता है |ज्योतिष में बुध से सम्बंधित वस्तुओं मे कबूतर को भी जाना जाता है अब कबूतर बुध और छत हो गयी rahu | अब ऐसे लोग जब छत पे दाना डालते है तों छत पर कबूतर आते है तों एक तरह से बुध और rahu का मेल हो गया. लेकिन कबूतर तों फिर भी दाना खा कर चले जायेगे , वो तों चिंता की बात नहीं लेकिन जब वहां कबूतर आयेगे तों अपने मल से छत को गन्दी कर देगे| छत यानि rahu ख़राब हो जायेगा और बुरा नतीजा मिलेगा | बाकि किसी पार्क या खुले मैदान मे भी दाना दाल सकते है इसी लिये केहते है की छत पर कोई कूड़ा कबाड़ खराब गीली लकड़ी रबर और जंग लगे लोहे का समान ना हो तों हो गया इसका कारण | इसीलिए छत पर दाना नहीं डालना चाइए | जिन लोगो के पास छत पर डालने के अलावा और कोई चारा नहीं है , वो ये पढ़ कर कबूतर को दाना डालना बंद न करे और उसका भी एक तरीका है | वो लोग कबूतर के जाने के तुरंत बाद छत को अच्छे से साफ कर दे | अब बुध और rahu की बात चली है तों २ बाते और | दूसरा की बुध व्यापार भी है और rahu ससुराल है | ऐसे लोग जिनका की कुंडली में बुध और rahu का खराब योग है , उनको ससुराल पक्ष ( rahu ) के साथ मिलकर व्यापार ( बुध ) नहीं करना चाइए |

अगर बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही

अगर बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही या लगता है की किसी को मुक्ति नहीं मिल रही रोगी बहुत तड़प रहा है और वार वार भगवान से मौत की फ़रयाद कर रहा है तो यह करें
आधा मीटर काला कपडा ले उसमे 800 ग्राम काले उड़द 800 ग्राम काले तिल 7 लोहे की कील मोची से लेनी है एक चाकू और एक मिठाई वाला पेठा और पेठे पर एक दो बूँद रोगी का खून लगा ले यह सारा सामान बांध कर एक पोटली बना ले और पोटली को शुक्रवार की रात रोगी के सिरहाने रख दे शनिवार सुबह 8 से 10 वजे के बीच जल परवाह कर दें
ध्यान रखें की रोगी के पास से पोटली लेजाते समय घर में आपके रस्ते में कोई नहीं आना चाहिए
इतना जरूर ध्यान रखें की पोटली को बहुत टाइट करके नहीं बंधना थोड़ा ढीला ही रखना है जो पानी में जाकर जल्दी ही खुल जाय
यह उपाय पूरी ख़ामोशी से करना है

सभी प्रकार की बाधाएं दूर

विष्णुरेकादशी गीता तुलसी विप्रधेनव:।
असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी।।
इस श्लोक में 6 बातें बताई गई हैं,
जिनका ध्यान दैनिक जीवन में रखने पर सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं।
इन 6 बातों में पहला काम है भगवान विष्णु की पूजा करना।
भगवान विष्णु परमात्मा के तीन स्वरूपों में से एक जगत के पालक माने गए हैं।
श्रीहरि ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि और शांति के स्वामी भी हैं।
विष्णु अवतारों की पूजा करने पर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष, सब कुछ प्राप्त हो सकता है

स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति के प्रयोग

लघु नारियल तथा एकाक्षी नारियल तथा दक्षिणावर्ती शंख व मोती शंख से कैसे प्रसन्न करे लक्ष्मी जी को तथा इनके प्रयोग की बिधि.
ज्योतिषीय उपायों में खास तरह के नारियलों एवं शंखो का उपयोग प्राचीन काल से ही
किया जाता रहा है। आज हम आपको लघु तथा एकाक्षी नारियल तथा दक्षिणावर्ती शंख
मोती शंख तथा उनसे किए जाने वाले उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैl
लघु नारियल
लघु नारियल का आकार सामान्य नारियल से थोड़ा
छोटा होता है। इसका प्रयोग कई उपायों में किया जाता
है, खासकर धन-संपत्ति प्राप्ति के उपायों में। लघु
नारियल के कुछ साधारण प्रयोग इस प्रकार हैं-
1. किसी शुभ मुहूर्त में 11 लघु नारियल पूजन कक्ष में
स्थापित मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के चरणों में रख कर निम्न मंत्र
ऊं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नीं च
धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् l
मंत्र का जाप करें।
1माला जाप करने के बाद एक लाल कपड़े में उन लघु
नारियलों को लपेट कर तिजोरी में रख दें व दीपावली के
दूसरे दिन किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।
ऐसा करने से धन संबंधी समस्या का स्थायी निदान हो सकता हैl
2. धन, वैभव व समृद्धि पाने के लिए 5 लघु नारियल
स्थापित कर, उस पर केसर से तिलक करें और हर
नारियल पर तिलक करते समय 27 बार नीचे लिखे मंत्र
का मन ही मन जाप करते रहें-
मंत्र- ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं
3. अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में कभी धन व
अनाज की कमी न रहे और अन्न का भंडार भरा रहे तो
11 लघु नारियल एक पीले कपड़े में बांधकर रसोई घर
के पूर्वी कोने में बांध दें।
एकाक्षी नारियल
धार्मिक मान्यता के अनुसार ये नारियल साक्षात
लक्ष्मी का रूप होता है। इसके ऊपर आंख के समान
एक चिह्न होता है। इसलिए इसे एकाक्षी (एक आंख
वाला) नारियल कहते हैं। इसे घर में रखने से ही कई
प्रकार की समस्याएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं। ये हैं
इसके खास उपाय-
1. जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती है, उस
घर के लोगों पर तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव नहीं
होता है एवं उस परिवार के सदस्यों को मान-सम्मान,
प्रतिष्ठा व यश प्राप्त होता है।
2. यदि मुकद्मे में विजय प्राप्त करनी हो तो रविवार के
दिन एकाक्षी नारियल पर विरोधी का नाम लिख कर,
उस पर लाल कनेर का फूल रख दें और जिस दिन
न्यायालय जाएं वह फूल साथ ले जाएं। फैसला आपके
पक्ष में होने की संभावना बढ़ जाती है।
दक्षिणावर्ती शंख
ज्योतिषीय उपायों में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष
महत्व है। इस शंख को विधि-विधान पूर्वक घर में रखने
से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती हैं और धन की
भी कमी नहीं होती, लेकिन इसे घर में रखने से पहले
इसका शुद्धिकरण अवश्य करना चाहिए।
इस विधि से करें शुद्धिकरण
लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर
इसमें गंगाजल भरें और कुश (एक विशेष प्रकार की
घास) के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें- ऊं
श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:
इस मंत्र की कम से कम 5 माला जाप करें।
उपाय
1. दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भंडार में रखने से
अन्न, धन भंडार में रखने से धन, वस्त्र भंडार में
रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। बेडरूम में इसे
रखने से शांति का अनुभव होता है।
2. इस शंख में शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु,
स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र
आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
3. इसे घर में रखने से सभी प्रकार की नकारात्मक
ऊर्जा अपने आप ही समाप्त हो जाती है और घर में
सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है।
मोती शंख
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती शंख एक विशेष
प्रकार का शंख होता है। ये आम शंख से थोड़ा अलग
दिखाई देता है और थोड़ा चमकीला भी होता है। इस
शंख को विधि- विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा
जाए तो घर, ऑफिस व दुकान में पैसा टिकने लगता है।
आमदनी बढऩे लगती है।
उपाय
किसी बुधवार को सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने
सामने मोती शंख को रखें और उस पर केसर से
स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र
का जाप करें-
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें। मंत्रोच्चार के
साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। इस बात का
ध्यान रखें कि चावल टूटे हुए ना हो। यह प्रयोग
लगातार 11 दिनों तक करें। इस प्रकार रोज एक माला
जाप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की
थैली में रखें और ग्यारह दिनों के बाद चावल के साथ
शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें। कुछ
ही दिनों में धन वृद्धि के योग बनने लगेंगे।