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Friday, 17 April 2015

शारदा माता की आरती

हे शारदे! कहां तू वीणा बजा रही है।
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है।
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है।
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं,
चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं।
अज्ञान तुम हमारा मां शीघ्र दूर कर दे,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में मां शारदे तू भर दे।
बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे,
प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे।
हमको दयामई ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ।
ह्रदय रूपी पलक में करते है आहो जारी,
हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी।
मातेश्वरी तू सुन ले सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी।

Thursday, 16 April 2015

आरती विष्णु जी की....

जय विष्णु देवा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
भक्तन के प्रतिपालक, दीनन दुख हरणा।। जय...
चार वेद गुण गावत, ध्‍यान पुराण धरें।
ब्रह्मादिक शिव शारद, स्तुति नित्य करें।। जय...
लक्ष्मीपति, कमलापति, गरूड़ासन स्वामी।
शेष शयन तुम करते, प्रभु अन्तरयामी।। जय...
माता-पिता तुम जग के, सुर मुनि करें सेवा।
धूप, दीप, तुलसीदल, धरें भोग मेवा।। जय...
रत्नमुकुट सिर सौहे, बैजन्ती माला।
पीताम्बर तन शोभित, नील वरण आला।। जय...
शंख-चक्र कर सौहे मुद मंगलकारी।
दास प्रभु की विनती सुन लो हितकारी।। जय... 

श्री सांई आरती


कलियुग के श्रीराम हैं सांई, कलियुग के श्रीकृष्ण कन्हा
कलियुग के तुम ब्रह्मा, विष्णु, कलियुग के शिवशंकर सां
जय-जय सांई, ॐ सांई, सत्य सनातन कण-कण सां
कलियुग के गुरुनानक सांई, कालचक्र के क्षण-क्षण सांई,

कलियुग के श्रीराम हैं सांई, कलियुग के श्रीकृष्ण कन्हा
कलियुग के तुम ब्रह्मा, विष्णु, कलियुग के शिवशंकर सां
जय-जय सांई, ॐ सांई, सत्य सनातन कण-कण सां
जब-जब विपदा मुझ पर आई, क्रूर धूप जब जग पर छा
बदली बनकर नीलगगन से, मन आंगन पर करुण बनक
परछाईं बन छाये सांई

कलियुग के श्रीराम हैं सांई, कलियुग के श्रीकृष्ण कन्हा
कलियुग के तुम ब्रह्मा, विष्णु, कलियुग के शिवशंकर सां
जय-जय सांई, ॐ सांई, सत्य सनातन कण-कण सां
अवनि अंबर तुमसे सांई, तुम ही हो जग की सच्चाई,
जब-जब छाया जग अंधियारा, जल से ज्योति जलाये सांई,

कलियुग के श्रीराम हैं सांई, कलियुग के श्रीकृष्ण कन्हा
कलियुग के तुम ब्रह्मा, विष्णु, कलियुग के शिवशंकर सां
जय-जय सांई, ॐ सांई, सत्य सनातन कण-कण सां
कहने को तुम शिरडी वाले, किंतु सच में सबके सांई,
जिसने भी चाहा है मन से, उसका घर शिरडी बन जाता,
सांई खुद चलकर आते हैं, संग-संग आती द्वारका मा

कलियुग के श्रीराम हैं सांई, कलियुग के श्रीकृष्ण कन्हा
कलियुग के तुम ब्रह्मा, विष्णु, कलियुग के शिवशंकर सां
जय-जय सांई, ॐ सांई, सत्य सनातन कण-कण सां

श्री गणेशजी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय...
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय...
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय...
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जय...

Wednesday, 15 April 2015

श्रीगणेश आरती- सुखकर्ता दुखहर्ता...

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन कामनांपुरती॥ जय देव...
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥ जय देव...
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,
सुरवरवंदना॥ जय देव...

शनिदेव आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।। 

Tuesday, 14 April 2015

खाटू श्याम जी की आरती

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे.. । 

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती श्री परशुराम जी की

शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥1॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥2॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥3॥
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥4॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥5॥

शारदा माता की आरती

हे शारदे! कहां तू वीणा बजा रही है।
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है।
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है।
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं,
चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं।
अज्ञान तुम हमारा मां शीघ्र दूर कर दे,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में मां शारदे तू भर दे।
बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे,
प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे।
हमको दयामई ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ।
ह्रदय रूपी पलक में करते है आहो जारी,
हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी।
मातेश्वरी तू सुन ले सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी।

Monday, 13 April 2015

शारदा माता की आरती

हे शारदे! कहां तू वीणा बजा रही है।
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है।
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है।
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं,
चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं।
अज्ञान तुम हमारा मां शीघ्र दूर कर दे,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में मां शारदे तू भर दे।
बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे,
प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे।
हमको दयामई ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ।
ह्रदय रूपी पलक में करते है आहो जारी,
हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी।
मातेश्वरी तू सुन ले सुंदर विनय हमारी,
करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी।

गणेश आरती- शेंदुर लाल चढ़ायो...

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ 

Thursday, 9 April 2015

आरती श्री परशुराम जी की




शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥1॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥2॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥3॥
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥4॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥5॥

Thursday, 2 April 2015

Santoshi Mata Ji Ki Aarti

Jai Santoshi Mata, Jai Santoshi Mata,
Apne Sevak Jan Ko Sukh Sampati Daata.
Sunder Cheer Sunehari Maa Dharan Keenho,
Heera Panna Damke Tan Singar Leenho.
Geru Lal Chata Chhavi Badan Kamal Sohe,
Mand Hasat Karunmayi Tribhuvan Man Mohe.
Swaran Sinhasan Bethi Chanvar Dhuren Pyare,
Dhoop Deep Madhu Meva Bhog Dhare Nyare.
Gud Aur Chana Param Priye Tamen Santosh Kiyo,
Santoshi Kahlai Bhaktan Vibnav Diyo.
Shukra Var Priya Manat Aaj Divas Sohi,
Bhakt Mandali Chhayi, Katha Sunat Mohi.
Mandir Jugmug Jyoti Mangal Dhvani Chhayi,
Vinay Karen Hum Balak Charnan Siru Nayi.
Bhakti Bhav Maya Pooja Angikrat Kejee,
Jo Man Base Hamare Ichcha Pal Dejee.
Dukhi Daridri Rogi Sankat Mukt Kiya,
Bahu Dhandhanya Bhare Ghar Sukh Sobhagya Diye.
Dhyan Dharo Jane Tero Man Vanchhit Phal Payo,
Pooja Katha Shravan Kar Ur Anand Aayo.
Sharan Gahe Ki Lajja Raakhyo Jagdambe,
Sankat Toohi Nivare Dayamayi Ambe.
Santoshi Maa Ki Aarti Jo Koi Jan Gave,
Riddhi Siddhi Sukh Sampati Jee Bhar Ke Pave.

Rama Aarti

Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man, Haran Bhavbhay Darunam,
Nav Kanj Lochan Kanj Mukh Kar Kanj Pad Kanjarunam.
Kandarp Agnit Amit Chhavi Navneel Neeraj Sundaram,
Patpeet Manhutdit Ruchisuchi Nomi Janak Sutavaram.
Bhaju Deenbandhu Dinesh Danav Datiya Vansh Nikandnam,
Raghunand Anand Kand Koshal Chand Dashrath Nandnam.
Sir Mukut Kundal Tilak Charu Udar Angvi Bhushanam,
Aajanubhuj Sir Chap Dhar Sangram Jit Khar Dushanam.
Iti Vadate Tulsi Das Shankar Shesh Muniman Ranjnam,
Mam Hriday Kanjnivas Kurukamadi Khaldal Ganjnam.
Man Jahi Ranchayo Milihi So Var Sahaj Sundar Sanvaro,
Karuna Nidhan Sujan Sheel Sneh Janat Ravro.
Ehibhanti Gauri Ashish Sunsiy Sahit Hiya Aarshit Ali,
Tulsi Bhavani Pooji Puni Puni Mudit Manmandir Chali.
Jani Gauri Anukool, Siyahiya Harsh Na Jat Kahi,
Manjul Mangal Mool, Bam Ang Pharkan Lage.

Aarti Kunj Bihari Ji Ki

Aarti Kunj Bihari Ji Ki, Girdhar Krishan Murari Ki,
Gale Main Bejyantee Mala, Bajave Murli Madhur Bala.
Shrawan Main Kundal Jhal Kala, Nand Ke Anand Nandlala.
Neinan Beech, Bshi Ur Beech, Surtiya Roop Ujari Ki,
Girdhar Krishan Murari Ki, Aarti Kunj Bihari Ki.
Kanakmay Mor Mukut Vilse, Devta Darshan Ko Tarse.,
Gagan Se Suman Bhaut Barse, Bjt Muh Chang Aur Mardung,
Gwalin Sung. Laj Rakh Gop Kumari Ki,
Girdhar Krishan Murari Ki, Aarti Kunj Bihari Ki.
Jhan Te Prakti Hai Ganga, Kalush Kali Harni Shree Ganga,
Dhari Shiv Sheesh Jata Ke Beech Radhika Gaur,
Shyam Patchar Ki, Chhavi Nirkhen Banvari Ki,
Girdhar Krishan Murari Ki, Aarti Kunj Bihari Ki.
Chahudishi Gopgwal Dhenu, Baj Rahi Jamunatat Benu,
Hansat Mukh Mand Vard Sukh Kand Varndavan,
Chand Ter Suni Leu Bhikhari Ki,
Girdhar Krishan Murari Ki, Aarti Kunj Bihari Ki.

Lakshmi Aarti

Om Jai Lakshmi Mata, Maiya Jai Lakshmi Mata,
Tumko Nishdin Sevat, Har Vishnu Vidhata.
Uma Rama Bharmani, Tum Hi Jag Mata,
Surya Chandrma Dhyavat Naard Rishee Gata.
Durga Roop Niranjani, Sukh Sampati Data,
Jo Koi Tum Ko Dhayata, Riddhi Siddhi Pata.
Tum Patal Nivasini, Tum Hi Shubh Data,
Karam-Prabhav-Prakashini, Bhav Nidhi
Jis Ghar Main Tum Rahti, Sub Sadgun Aata,
Sub Sambhav Ho Jata, Man Nahi Ghabrata.
Tum Bin Yagya Na Hove, Vastra No Koi Pata,
Khan-Pana Ka Vaibhav, Sub Tumse Pata.
Shubhgun Mandir Sundar, Sheerodadhi Jata,
Ratan Chaturdhsh Tum Bin, Koi Nahi Pata.
Mahalakshmi Ji Ki Aarti, Jo Koi Nar Gata,
Urr Anand Samata, Pap Utar Jata.
Sthir Char Jagat Bchaye Shubh Karam Nar Lata,
Ram Pratap Maiya Ki Shubh Drashti Chahta.

Shri Ganga Ji Ki Aarti

Om Jai Gange Mata, Shri Jai Gange Mata
Jo Nar Tumko Dhyata, Man Vanchhit Phal Pata
Om Jai Gange Mata.
Chandra Si Jot Tumhari, Jal Nirmal Aata
Sharan Pade Jo Teri, So Nar Tar Jata
Om Jai Gange Mata.
Putra Sagar Ke Tare, Sab Jag Ko Gyata
Kripa Drishti Tumhari, Tribhuvan Sukh Data
Om Jai Gange Mata.
Ek Hi Bar Jo Teri, Sharanagati
Yum Ki Tras Mitakar, Paramgati Pata
Om Jai Gange Mata.
Aarti Mat Tumhari, Jo Jan Nitya Gata
Arjun Wahi Sahaj Main, Mukti Ko Pata
Om Jai Gange Mata.

Shri Kali Devi Ji Ki Aarti

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Jai Durga Khappar Wali.
Tere Hi Gun Gayen Bharti,
O Maiya Hum Sab Utare Teri Aarti.
Tere Bhakt Jano Pe Mata Bheer Padi Hai Bhari,
Danav Dal Par Toot Pado Maa Karke Sinh Savar,.
Sou Sou Sinho Se Hai Balshali Hai Dus Bhujaon Wali.
Dukhion Ke Dukhde Niwarti,
O Maiya Hum Sab Utare Teri Aarti.
Maan Bête Ka Hai Is Jug Main Bada Hi Nirmal Nata,
Poot Kapoot Sune Hain Par Na Mata Suni Kumata.
Sub Pe Karuna Darsane Wali Amrit Barsane Wali,
Dukhion Ke Dukhde Niwarti,
O Maiya Hum Sab Utare Teri Aarti.
Nahin Mangte Dhan Aur Daulat Na Chandi Na Sona,
Hum To Mange Tere Man Main Ek Chhota Sa Kona.
Sub Ki Bigdi Banane Wali Laaj Bachane Wali,
Sathiyon Ke Sat Ko Sanvarti,
O Maiya Hum Sab Utare Teri Aarti.

Shri Durga Ji Ki Aarti

Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri,
Tumko Nishdin Dhyavat Hari Bhrama Shivji.
Mang Sindoor Virajat Tiko Mrag Mad Ko,
Ujjwal Se Dau Naina Chandra Badan Niko.
Kanak Saman Klewar Raktamber Raje,
Rakt Pushp Gal Mala Kanthan Par Saje.
Kehri Vahan Raje Khadhk Khapper Dhari,
Sur Nar Muni Jan Sewat Tinke Dhukh Hari.
Kanan Kundal Shobhit Nasa Gaj Moti,
Katik Chander Divaker Sam Rajat Jyoti.
Shumbh Nishumbh Bidhare Mahishasur Ghati,
Dhoomr Vilochan Naina Nishdin Madmati.
Chund Mund Sanhare Shonit Beej Hare,
Madhu Keytabh Dou Mare Sur Bhay Heen Kare.
Brahmani Rudrani Tum Kamla Rani,
Aagam Nigam Bakhani Tum Shiv Patrani.
Chousatha Yogini Mangal Gavat Nrittya Karat Bhaeron,
Bajat Tal Mradanga Aru Bajat Damroo.
Tum Hi Jag Ki Mata Tum Hi Ho Bharta,
Bhakatan Ki Dukh Harta Sukh Sampati Karta.
Bhuja Char Ati Shobhit Khadak Khaper Dhari,
Man Vanchhit phal Pawat Sewat Nar Nari.
Kanchan Dhar Virajat Agar Kapoor Bati,
Shree Mal Ketu Main Rajat Koti Ratan Jyoti.
Ma Ambe Ji Ki Aarti Jo Koi Nar Gave,
Kahat Shivanand Swami Shukh Sampati Pave.