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Monday, 20 April 2015

हनुमानजी को प्रसन्न करने के खास मंत्र


व्याधि हरण के लिए - ऊँ वायु पुत्रायनम:।
जन्मदिन पर - ऊँ चिरंजीवीने नम:।
कार्य सिद्धि के लिए - ऊँ रामदूताय नम:।
शत्रु पर विजय के लिए - ऊँ शूराय नम:
प्रतियोगिता में सफलता के लिए- ऊँ गुणाढ्याय नम:।
अध्यात्म चेतना के लिए- ऊँ महायोगिने नम:।
रोग मुक्ति के लिए - सोमित्र प्राणदाय नम:।
भक्ति प्राप्ति के लिए - ऊँ राम भक्ताय नम:।
कार्य सिद्धि के लिए - ऊँ हनुमते नम:
अभिष्ट व रक्षा के लिए- अंजनागर्भ संभूत कपींद्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमत रक्ष सर्वदा।

Thursday, 16 April 2015

एक मंत्र का जाप भगवान और भक्त दोनों से दिलाए दोहरा लाभ

श्रीहनुमान जी का जीवन भारतीय जनता के लिए सदा से प्ररेणादायक रहा है। वे वीरता की साक्षात प्रतिमा हैं एवं शक्ति तथा बल-पराक्रम की जीवन्त मूर्ति। राम उनके रोम-रोम में बसते थे। कहते हैं एक बार उन्होंने अपना सीना चीर कर दिखाया तो उसमें सिर्फ़ राम ही दिखायी दिये।
 
                            दुनिया चले न श्री राम के बिना, राम जी चले न हनुमान के बिना…. 
 
अर्थात जहां श्रीराम सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं, वहीं बाल ब्रह्मचारी हनुमान ने अपनी निस्वार्थ भक्ति और अनन्य प्रेम से भगवान श्रीराम के दिल में ऐसी जगह बनाई कि दुनिया उन्हें प्रभु राम का सबसे बड़ा भक्त मानती है। 
 
प्रतिदिन शाम के समय घर पर अथवा किसी ऐसे मंदिर में जाएं, जहां श्रीराम और हनुमानजी दोनों के ही श्री रूप स्थापित हो। दोनों मंदिरों में दीपदान करें। श्री राम मंदिर के सामने बैठकर हनुमान चालीसा एवं हनुमान मंदिर के सामने बैठकर राम जी का मंत्र जाप करें। 
 
मंत्र-                                         राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
                                               सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
 

इससे भगवान और भक्त दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। दुनिया में जहां कहीं भी राम का नाम लिया जाता है, आज भी वहां हनुमान जी किसी ना किसी रुप में आ जाते हैं। 

स्मरण करने मात्र से भक्त के पास पहुंच जाते हैं दत्तात्रेय भगवान

महायोगीश्वर दत्तात्रेय भगवान श्री विष्णु के अवतार हैं। दत्तात्रेय भगवान अपने भक्तों का हर कष्ट दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान दत्तात्रेय कृपा की मूर्त कहलाते हैं। उन्हें स्मरण करने मात्र से वह भक्त के पास पहुंच जाते हैं। तभी तो इन्हें स्मृतिगामी तथा स्मृतिमात्रानुगन्ता कहा जाता है। ये विद्या के परम आचार्य हैं। भगवान दत्तजी के नाम पर दत्त संप्रदाय दक्षिण भारत में विशेष प्रसिद्ध है।
यदि आपकी भी कोई मनोकामना है तो नीचे लिखे दत्तात्रेय मंत्र का जप विधि-विधान से करने पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी। मंत्र इस प्रकार है- 

                                                          श्री ॐ कृत्वा दिम दिम चम्स्भ ने ॥

विधि-विधान
1 किसी भी पूर्णिमा से साधना को शुरू किया जा सकता है। 
2 पवित्रता बनाएं रखें।
3 उत्तर दिशा में बैठ कर पिला आसन बिछा कर जाप करें।
4 सुबह के समय जाप का आरंभ दीपक प्रज्ज्वलित करने के उपरांत करें। 
इस विधान से भगवान दत्तात्रेय की अनुभूति किसी भी रूप में होगी।

पेट संबंधित रोगों का अंत करेगा नरसिंह मंत्र

भक्ति पर आघात और धर्म पर जब भी संकट की स्थिति चरम पर होती है, तब-तब भगवान विष्णु को इनकी रक्षा के लिए आना पड़ता है। यह अवतार भी उन्हीं घटनाओं में से एक है। नरसिंह अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक हैं। भक्त की आस्था और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतिक है नरसिंह अवतार। भगवान ने आधे मनुष्य और आधे सिंह का रूप हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए लिया था। इनका यह रूप चाहे थोड़ा उग्र है लेकिन अपने भक्तों के सारे कष्ट तत्काल हर लेते हैं।
ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित भक्त प्रहलाद द्वारा निर्मित नरसिहं भगवान का कवच है उसमें यह नरसिंह मंत्र दिया गया है जिसके जाप से कठिन एवं असाध्य रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।
 
                                              प्राशयेद्यो नरो मन्त्रं नृसिंहध्यानमाचरेत्।
                                              तस्य रोगाः प्रणश्यन्ति ये च स्युः कुक्षिसम्भवाः॥
 
                                             श्री ब्रह्माण्ड-पुराणे प्रह्लादोक्तं श्रीनृसिंह कवचं 

अर्थात जो व्यक्ति इस मंत्र का पाठ करता है नरसिंह देव उनके रोगों का शमन करते हैं तथा पेट की समस्त बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए जैसे एसिडिटी, बदहजमी, कब्ज और पाचन शक्ति में राहत दिलाते हैं। 

धन प्राप्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप

हर इंसान धन व सुख संपन्नता से जीवन बिताने की चाहत रखता है । हिन्दू धर्म में शुक्रवार का दिन शक्ति उपासना के लिए बहुत शुभ होता है । माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि, धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माना गया है। मां लक्ष्मी धन-वैभव व ऐश्वर्य की देवी हैं। उनका पूजन करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। प्रातकाल: उठ कर शुद्ध होने के पश्चात धूप-दीप करने के पश्चात ऊन या कुशासन पर बैठें एवं अपनी शक्ति अनुरूप एक, तीन या पांच माला का जाप करें। निश्चित ही इसका प्रभाव होगा, जिससे धन,यश और समृद्धि की वृद्धि होगी।

                                                       
                                - ॐ श्री महालक्ष्म्यै नम:।

भगवान से मिलने की तीव्र इच्छा को पूर्ण करता है यह मंत्र

रिश्ते जीवन की अनमोल धरोहर होते हैं जिनके सहारे जिंदगी का सफर आसान हो जाता है। संसारिक रिश्ते तो कच्चे धागे होते हैं जरा सा चटके नहीं की टूट कर बिखर जाते हैं। जीवन में अगर किसी से सच्चा रिश्ता बनाना चाहते हैं तो भगवान के साथ बनाया जा सकता है पक्‍का रिश्‍ता। सच्चे दिल से बनाया गया भगवान से रिश्ता आपकी समस्त मनोकामनाओं को दिला सकता है भगवान का आशीर्वाद-
जिस समय संसारिक रिश्ते आप से मुंह मोड़ लेते हैं उस समय केवल भगवान ही आपकी सहायता करते हैं। इतिहास साक्षी है जब भी किसी भक्त पर संकट आता है तो भगवान अपने भक्त की रक्षा के लिए आगे आते हैं।
 
जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से भगवान को भजते हैं उनके चित्त में भगवान ज्ञान का दीप जलाते हैं। भक्त के मन में भगवान को मिलने की इच्छा तीव्र हो तो वह उसे अपने आप ही मिल जाते हैं। बस आप उन्हें अपना सर्वस्व अर्पण कर दें। प्रतिदिन प्रार्थना करते समय इस मंत्र का जाप करें
 
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या, द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं ममः देवदेवा।।
 
तुम ही माता और पिता हो, तुम ही बंधु और सखा तुम ही हो।
तुम ही साथी और सहारे, कोई नहीं है अपना सिवाय तुम्हारे

तुम ही नय्या और वैयां, तुम ही बंधु, सखा तुम ही हो।।

Monday, 13 April 2015

Rashi Mantra

Rashi Mantras can be recited anywhere and anytime. One can begin his day by Japa of his Rashi Mantra as well as recite them at the time of retiring to bed. They can also be chanted before starting any new work, before exams or interviews, when ill or while travelling. These Rashi Mantras are actually 'Beej Mantra' or the 'Seed Mantra' which have the innate power to eradicate any fear, disease, obstacles, illusions, etc.                  

Deity of Rashi Mantra

There are twelve moon signs in all and each moon sign is ruled by a different lord. Each sign lord is associated with a different Mantra.Chanting of one's own Rashi Mantra gives beneficial results very soon.                  

benefits of Rashi Mantra

A person who regularly chants his Rashi's Beej Mantra feels invigorated with renewed energy and motivation. Normally, these Rashi Mantras are to be chanted 11 or 108 or 1008 times.        




Mesh(Aries) Rashi Beej Mantra


ॐ ऎं क्लीं सौः |
Om Aing Kleeng Sauh |

Vrishabh(Taurus) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
Om Hreeng Kleeng Shreeng |

Mithun(Gemini) Rashi Beej Mantra


ॐ श्रीं ऎं सौः |
Om Shreeng Aing Sauh |

Kark(Cancer) Rashi Beej Mantra


ॐ ऎं क्लीं श्रीं |
Om Aing Kleeng Shreeng |

Singh(Leo) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं श्रीं सौः |
Om Hreeng Shreeng Sauh |

Kanya(Virgo) Rashi Beej Mantra


ॐ श्रीं ऎं सौः |
Om Shreeng Aing Sauh |

Tula(Libra) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
Om Hreeng Kleeng Shreeng |

Vrishchik(Scorpio) Rashi Beej Mantra


ॐ ऎं क्लीं सौः |
Om Aing Kleeng Sauh |

Dhanu(Sagittarius) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
Om Hreeng Kleeng Sauh |

Makar(Capricorn) Rashi Beej Mantra


ॐ ऎं क्लीं ह्रीं श्रीं सौः |
Om Aing Kleeng Hreeng Shreeng Sauh |

Kumbha(Aquarius) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्रीं |
Om Hreeng Aing Kleeng Shreeng |

Meen(Pisces) Rashi Beej Mantra


ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
Om Hreeng Kleeng Sauh |

Mesha


ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ।।
Om Hirng Shring Lakshmi Narayanabhyam Namah||

Vrishabha


ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नमः ।।
Om Gopalay Utterdhvajay Namah ||

Mithuna


ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।।
Om Kling Krishnay Namah||

Karka


ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरुपिणे नमः ।।
Om HiranyaGarbhay Avyaktrupine Namah ||

Sinha


ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नमः ।।
Om Cling Brhmne Jagadadharay Namah||

Kanya


ॐ नमः पीं पीताम्बराय नमः ।।
Om Namah ping Pitambray Namah ||

Tula


ॐ तत्वनिरञ्जनाय नमः ।।
Om Tatvaniraqjnay Namah ||

Vrischika


ॐ नारायणाय सुरसिंघाय नमः ।।
Om Narayanay Sursingay Namah||

Dhanu


ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नमः ।।
Om Shring Devkrishnay Urdhwadantay Namah||

Makara


ॐ श्रीं वत्सलाय नमः ।।
Om Shring Watsalay Namah ||

Kumbha


ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नमः ।।
Om Shring UpendrayAchyutay Namah ||

Meen


ॐ आं क्लीं उध्दृताय नमः ।।
Om Aang Cling Udhdritay Namah ||           

Navgrah Mantra

Every aspect of human life is affected by nine planets. Many imes,unfavourable positioning of the planets cause problems and stagnation in our lives. Navagraha Mantras are simple, yet powerful healing tools to pacify the malefic effects of the concerned planets. Regular chanting of Navagraha Mantras creates positive vibrations and influences the related planets to give favourable results.

Deity of Navgrah Mantra


Navgrah mantra are to be chanted on the days related to their respective planet lords. For example, Surya Mantra is to be recited on Sundays, Chandra or Soma Mantra is to be recited on Mondays and so on



 

 Benefits of Navgrah Mantra

Chanting of Navagraha Mantras increases their positive effects and minimise their harmful consequences.

                


Surya mantra


ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः ||
Om Hring Hraung Suryay Namah ||

Chandra Mantra


ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ||
Om Aing Kling Somay Namah ||

Mangal Mantra


ॐ हूं श्रीं भौमाय नमः ||
Om Hung Shring Bhaumay Namah ||

Budh Mantra


ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः ।।
Om Aing Shring Shring Budhay Namah ||

Guru Mantra


ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः ।।
Om Hring Cling hung Brihsptye Namah ||

Shukra Mantra


Om Hring Shring Shukray Namah ||

Shani Mantra


ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः ||
Om Aing Hring Shring Shanaishchray Namah||

Rahu Mantra


ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः ||
Om Aing Hring Rahave Namah||


Ketu Mantra


ॐ ह्रीं ऐं केतवे नमः||
Om Hring Aing Ketave Namah ||


Sunday, 12 April 2015

Badhanivarak Mantra3



                      कालि कालि महाकालि, मनोऽस्तुत हन हन । दह दह शूलं त्रिशूलेन हुँ फट् स्वाहा ।।            

                                  Kaali Kaali Mahaakaali, Mano-astuta Han Han ?
                                  Dah Dah Shoolam Trishulen Hoom Phat Swaaha ||            




Badhanivarak Mantra2


                                                                ॐ हंसः हंसः |


                                                         Om Hansah Hansah ?




Badhanivarak Mantra

Sometimes, despite our best efforts and hard work, we are not able to succeed in our ventures. Sometimes, ill health worries us and sometimes relations hurt us. We face failure on all accounts for no reasons known to us. In such circumstances, the Badha Nivarak Mantras proves to be a blessing.


Rosary to be used for Chanting Badhanivarak Mantra
Rudarakch ki Mala
Flowers to be used for Badhanivarak Mantra
Nila vastra
Total Number of Recitaion/Japa for Badhanivarak Mantra
Frequency of japa for Badhanivarak Mantra is 1,25,0000 times
Best Time or Muhurta for Chanting Badhanivarak Mantra
Ravi yog




Deity of Badhanivarak Mantra

The deities of most of the Badha Nivarak Mantras is either Maa Durga or Maa Kali � both forms of the same feminine Shakti � which has the power to destroy all that is evil and troublesome, to overcome hurdles and destroy enemies.          


Benefits of Badhanivarak Mantra

Badha Nivarak Mantras is primarily for removing obstructions and difficulties in life. Recitation of Badha Nivarak Mantras solves all problems and helps you out of any difficult situation you may be in. This Badha Nivarak Mantras Japa the power to subdue and dissolve all difficulties and impediments. Regular recitation of Badha Nivarak Mantras sanctifies one with strength and power and instills positive energy. When chanted before beginning a new venture or at the time of appearing for exams or interviews, these Badha Nivarak Mantras ensure success and good results.           

Badhanivarak Mantra


सर्वबाधा-प्रशमनं त्रैलोकस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यस्मद्ववैरिविनाशनम् ।। ॐ नमश्चंडिकायै ।।

                                 Sarvabadha-Prashmanam Trailokyakhileshwari ? 
                                 Evmev Tvayaa Karyasmdvavairivinashanam ?? 
                                 Om Namaschandikayai ??
                    

Saturday, 11 April 2015

Vastu Dosha Nivaran Mantra - 4

                 ॐ वास्तोष्पते ध्रुवास्थूणां सनं सौभ्या नां द्रप्सो भेत्ता पुरां शाश्वती 

                                           ना मिन्क्षे मुनीनां सखा स्वाहा |



               Om Vaastoshpate Dhruvaasthoonaam Sanam Saubhyaa Naam Drapso Bhettaa 
                          Puraam Shashvatee Naa Minkshe Muninaam Sakhaa Swaahaa |





Vastu Dosha Nivaran Mantra - 3


ॐ वास्तोष्पते शग्मया स र्ठ(ग्वग्) सदाते सक्षीम हिरण्यया गातु मन्धा । चहिक्षेम उतयोगे वरन्नो यूयं पातस्वस्तिभिः सदानः स्वाहा । अमि वहा वास्तोष्पते विश्वारूपाशया विशन् सखा सुशेव एधिन स्वाहा ।                          

   Om Vaastoshpate Shagmayaa Sa Gvag Sadaate Saksheem Hiranyayaa Gaatu Mandhaa |
   Chahikshem Utayoge Varanno Yooyam Paatasvastibhiha Sadaanah Swaahaa |






Vastu Dosha Nivaran Mantra - 2

        ॐ वास्तोष्पते प्रतरणो न एधि गयस्फानो गोभि रश्वे भिरिदो अजरासस्ते सख्ये स्याम पितेव
                               पुत्रान्प्रतिन्नो जुषस्य शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |


Om Vaastoshpate Pratarano Na Edhi Gayasphaano Gobhi Rashve Bhirido Ajaraasaste Sakhye
Syaam Pitev Putraanpratinno Jushashya Shanno Bhav Dvipade Sham Chatushpade Swaahaa |





Vastu Dosha Nivaran Mantra


This is known as Vastu Dosha Nivaran Mantra. Vastu Dosha Nivaran Mantra removes Vastu Dosha. It is also used to do Havan.

                 ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीद्यस्मान स्वावेशो अनमी वो भवान यत्वे महे प्रतितन्नो
                                            जुषस्व शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |                

     Om Vaastoshpate Prati Jaanidyasmaan Swaawesho Anamee Vo Bhavaan Yatve Mahe
               Pratitanno Jushasva Sahnno Bhav Dvipade Sham Chatushpade Swaahaa |   

       

Vastu Mantra

Errors in construction and non compliance of the rules relating to directions and flow of energy of the Panch Mahabhut viz earth, water, fire, air and space give rise to Vastu Dosha. Vastu Dosha can be removed by regular Japa of the Vastu Mantra. Vastu Mantra helps to get rid of these negative energies and invite auspiciousness in the premises.




Rosary to be used for Chanting Vastu Mantra
tulsi mala
Flowers to be used for Vastu Mantra
Peet pusp , Peet aasan , Peet vastra
Total Number of Recitaion/Japa for Vastu Mantra
Frequency of japa for Vastu Mantra is 54,0000 or 1,25,0000 times
Best Time or Muhurta for Chanting Vastu Mantra
Vastu santi muhurt

Deity of Vastu Mantra

The deity of Vastu Mantra is Vastu Purush or the Kaal Purush. Vastu Purush refers to the soul or energy of a place. Vastu Purush is the presiding deity of any premise. Vastu Purush lies head down in the earth in an inverted position. His feet point in the Southwest direction; while the head is in the Norteast; his left and right hands are positioned in the Southeast and Northwest directions respectively. Vastu Purush's stomach region is the abode of Brahman � the Creator of the Universe.

Benefits of Vastu Mantra

Chanting of the Vastu Mantra pacifies the malefic planets, strengthens the benefic planets, removes negative energies and brings prosperity. Vastu Mantra blesses the occupants of the place with wealth, health and peace of mind. Vastu Mantra creates an aura of peace, security and happiness in the premises. Vastu Mantra recitation protects the residential and business places from evil spirits, black magic and negative forces. Vastu Mantra has the power to remove stress and purify the environment of the premises. Mere Japa of the Vastu Mantra generates powerful and positive forces and generates an auspicious aura in sync with the energy of nature.

Vastu Vedic Mantra(Vastu Purusha Mantra)

This is known as Vastu Purusha Mantra. Recitation of Vastu Purusha Mantra brings peace and harmony in the house. Also removes Vastu Dosha.

नमस्ते वास्तु पुरुषाय भूशय्या भिरत प्रभो | मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धं कुरु सर्वदा ||        

        Namaste Vaastu Purushaay Bhooshayyaa Bhirat Prabho | 
        Madgriham Dhan Dhaanyaadi Samriddham Kuru Sarvada ||         




    
                     

Friday, 10 April 2015

Dvadashakshari Mantra



                                             ।। ॐ जूं सः मां पालय-पालय सः जूं ॐ ।।

                                ||Om Jung Sah Mang Paalay-Paalay Sah Jung Om ||


Dashakshari Mantra



                                                      ।।ॐ जूं सः मां पालय-पालय ।।


                                              || Om Jung Sah Mang Paalay-Paalay ||


LaghuMrityunjay Mantra



                                                                ।।ॐ ह्रौं जूं सः ।।


                                                        || Om Hraung Jung Sah ||


Tvarit Rudra Mantra


           
               ।।ॐ यो रुद्रोsन्गौ योsप्सुय ओषधीषु यो रुद्रो विश्वाभुवना-विवेश तस्मै रुद्राय नमोsस्तु।।
                   
              || Om Yo Rudroangau Yoapsuy Oshadhishu Yo Rudro Vishvabhuvana-Vivesh 
                                                    Tasmai Rudray Namoastu ||