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Friday, 17 April 2015

जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी

जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी,
तेरी मोहिनी मूरत लगे है प्यारी।
कण कण में है तेरा वास प्रभु, है तीनो लोक में तू ही तू।
जल में है, थल में है, नभ में है, पवन में है, तेरी छवि समाई,
डमरू की धुन में है, झूमे है सृष्टि, महिमा यह कैसी रचाई।
तेरी जय जय करे दुनिया सारी॥
जिसने भी तेरा ध्यान किया, उसको सुख का वरदान दिया।
दानी है, वरदानी है भोले बाबा, है भक्तों पे उपकार तेरा,
रावण को दे डाली सोने की लंका, किया आप परबत पे डेरा।
नहीं दूजा कोई तुमसा है उपकारी

Wednesday, 15 April 2015

शिव भजन : शिव-शक्ति

शिव से दूर हुई जब शक्ति, सूख गई गंगधार रे
शक्ति से जब दूर हुए शिव, फिर कैसा श्रृंगार रे...

जिस मानव-मन शिव की महिमा, पूनम की शीतलता है,
कहीं नहीं अहंकार है
जिसने भूली शिव की महिमा, शीतलता फिर कहां बचेगी,
कदम-कदम अंगार है

कंकर-कंकर जग का शंकर, जिसने पूजा जाना है,
कोई पूजता खुले आसमां, किसी ने ढंककर जाना है।

केवल शिव ही जग में प्रगट, हर युग में हर काल में,
काल भी जिसको हर युग पूजे, वह शक्ति महाकाल में॥

विपदा जब भी आए तुझ पर, आलिंगन कर समझ के विषधर
अमृत-धारा बह निकलेगी, गूंजेगा ऊंकार रे
शक्ति से जब दूर हुए शिव, फिर कैसा श्रृंगार रे...। 

Monday, 13 April 2015

ॐ नमः शिवाय।



कंठ में विष, विषधर की माला,
चंद्रगंग से शोभित मुख है,
मुख पर शोभित, भंग का प्याला
सत्य ही शिव है,
शिव ही सुंदर,
मेरा भगवन्‌ भोला-भाला
तेरे सहारे जीवन नैया,
कोई नहीं अब तेरे सिवाय
ॐ नमः शिवाय‌,
ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय। 


श्री शिवरात्रि भजन

                                                                आ गई शिवरात्रि पधारो शंकरजी।

हो पधारो शंकरजी, आरती उतारें।
पार उतारें शंकरजी हो उतारें शंकरजी।।
तुम नयन-नयन में हो, मन धाम तेरा।
हे नीलकंठ है कंठ, कंठ में नाम तेरा।
हो देवों के देव, जगत में प्यारे शंकरजी।
 
तुम राजमहल में, तुम्हीं भिखारी के घर में।
धरती पर ‍तेरा चरण, मुकुट है अंबर में।
संसार तुम्हारा एक हमारे शंकरजी।
 
तुम दुनिया बसा कर, भस्म रमाने वाले हो।
पापी के भी रखवाले, भोले-भाले।
दुनिया में भी दो दिन तो गुजारो शंकरजी।
 
क्या भेंट चढ़ाएं, तन मैला वर सूना।
ले लो आंसू के गंगाजल का है नमूना
आ करके नयन में चरण पखारो शंकरजी।।