भक्ति पर आघात और धर्म पर जब भी संकट की
स्थिति चरम पर होती है, तब-तब भगवान विष्णु को इनकी रक्षा के लिए आना पड़ता
है। यह अवतार भी उन्हीं घटनाओं में से एक है। नरसिंह अवतार भगवान विष्णु
के दस अवतारों में से एक हैं। भक्त की आस्था और अधर्म पर धर्म की विजय का
प्रतिक है नरसिंह अवतार। भगवान ने आधे मनुष्य और आधे सिंह का रूप
हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए लिया था। इनका यह रूप चाहे थोड़ा उग्र है
लेकिन अपने भक्तों के सारे कष्ट तत्काल हर लेते हैं।
ब्रह्माण्ड
पुराण में वर्णित भक्त प्रहलाद द्वारा निर्मित नरसिहं भगवान का कवच है
उसमें यह नरसिंह मंत्र दिया गया है जिसके जाप से कठिन एवं असाध्य रोगों से
मुक्ति पाई जा सकती है।
प्राशयेद्यो नरो मन्त्रं नृसिंहध्यानमाचरेत्।
तस्य रोगाः प्रणश्यन्ति ये च स्युः कुक्षिसम्भवाः॥
श्री ब्रह्माण्ड-पुराणे प्रह्लादोक्तं श्रीनृसिंह कवचं
अर्थात जो व्यक्ति इस मंत्र का पाठ करता
है नरसिंह देव उनके रोगों का शमन करते हैं तथा पेट की समस्त बीमारियों पर
नियंत्रण पाने के लिए जैसे एसिडिटी, बदहजमी, कब्ज और पाचन शक्ति में राहत
दिलाते हैं।
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