भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां
चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त
पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत
अधिक महत्व है। इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य
पापमुक्त हो स्वर्ग लोक में जाते हैं -
'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'
पद्मपुराण में माघ मास के
माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि
को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती
है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने
के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।
'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'
माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है,
उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि
माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए यह संभव न हो सके तो माघ
महात्म्य अवश्य सुनें। अतः इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की
पूजा अत्यंत फलदायी होती है। माघ मास की अमावास्या को प्रयागराज में स्नान
से अनंत पुण्य प्राप्त होते हैं। वह सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में
जाता है।
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